क्या आपको पता है ac और dc करंट में क्या फर्क होता है (difference between ac and dc current) ? . आज के इस लेख में हम यही जानेंगे कि ac और dc करंट में क्या फर्क होता है . करंट हमारे लिए कितना उपयोगी है ये आप सबको पता होगा . घर की लाइट से लेकर फैन, टीवी ,पानी की मोटर , मोबाइल , इलेक्ट्रिक चूल्हा , और बहुत सारे उपकरण करंट की वजह से चल पाते है . ऐसा बहुउपयोगी करंट आखिर कैसे काम करता है ये हम इस लेख में जानेंगे.

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ऐसी और डीसी करंट में क्या फर्क होता है (difference between ac and dc current)
Dc current
डीसी करंट एक ही दिशा में फ्लो होता है. इसे हम नदी के उदाहरण से समझ सकते है . नदी जिस तरह एक ही दिशा में बहती है . उस तरह डीसी करंट एक ही दिशा में बहता है. डीसी करंट का फुल फॉर्म डायरेक्ट करंट होता है
अगर आपने बैटरी देखी होगी तो हर बैटरी को पॉजिटिव और निगेटिव टर्मिनल होते है . जब बैटरी को सर्किट में जोड़ते है . निगेटिव टर्मिनल और पॉजिटिव टर्मिनल की वजह से पोटेंशियल डिफरेंस बनता है . निगेटिव टर्मिनल पर लो पोटेंशियल होता है वहीं पॉजिटिव टर्मिनल पर हाय पोटेंशियल होता है . इस पोटेंशियल डिफरेंस की वजह से वायर में मौजूद इलेक्ट्रॉन निगेटिव टर्मिनल से बहना शुरू करते है और पॉजिटिव टर्मिनल की तरफ जाते है . इलेक्ट्रॉन के इस बहने को ही हम करंट बहना कहते है .
भले ही इलेक्ट्रॉन निगेटिव टर्मिनल से पॉजिटिव टर्मिनल की ओर जाते है , लेकिन करंट बहने की दिशा पॉजिटिव से निगेटिव टर्मिनल की ओर मानी जाती है .
झरना जिस तरह से ऊंची जगह से नीचे की ओर बहता है उसी तरह करंट हाय पोटेंशियल से लो पोटेंशियल की ओर बहता है . डीसी करंट की वैल्यू टाइम के साथ कम ज्यादा नहीं होती है , वो एकसमान रहती है . इसे हम ऊपर के इमेज में देख सकते है .
Ac current
ac current का फुल फॉर्म ( ac current full form) Alternating Current होता है . एसी करंट बनाने के लिए पहला इलेक्ट्रिक जनरेटर Hippolyte Pixii ने 1832 में बनाया था . जो फैराडे के प्रिंसीपल के ऊपर आधारित था . एसी करंट की वैल्यू टाइम के साथ कम ज्यादा होती है इसे हम ऊपर दिए गए इमेज में देख सकते है .
डीसी करंट की तरह ऐसी करंट सिर्फ एक दिशा में नहीं बहता है . बल्कि ऐसी करंट वायर के दोनों तरफ बहता है . ऐसी करंट कुछ टाइम के लिए एक दिशा में बहता है फिर कुछ टाइम बाद दिशा बदलकर दूसरे दिशा में बहता है . फिर से कुछ टाइम बाद करंट अपनी दिशा बदलता है. ये साइकिल (cycle) निरंतरता से चलता रहता है .
एसी करंट अपना डायरेक्शन कैसे बदलता है ?(how ac current changes direction)
लेकिन एसी करंट अपना डायरेक्शन क्यों बदलता है क्या आपको पता है . तो चलिए इसका जवाब हम जानते है . जब हम ऐसी पावर सप्लाई सर्किट में जोड़ते है . तब उसमें पॉजिटिव और निगेटिव टर्मिनल नहीं होते है , जैसे डीसी पावर सप्लाई में होते है .
सर्किट में जोड़ने के बाद ऐसी पावर सप्लाई का एक टर्मिनल कुछ टाइम के लिए पॉजिटिव (हाई पोटेंशियल ) होता है और दूसरा टर्मिनल निगेटिव (लो पोटेंशियल ) होता है . लेकिन कुछ समय बाद पॉजिटिव टर्मिनल निगेटिव हो जाता है और निगेटिव टर्मिनल पॉजिटिव हो जाता है . ये साइकिल (cycle) निरंतर चालू रहता है . इसी वजह से ऐसी करंट कभी एक दिशा में बहता है तो कभी दूसरे दिशा में .
जब एक टर्मिनल पॉजिटिव (हाई पोटेंशियल ) होता है तब वायर में मौजूद इलेक्ट्रॉन उस टर्मिनल की तरफ जाते है . इलेक्ट्रान कुछ दुरी तक आगे जाते है . लेकिन जैसे ही वो टर्मिनल निगेटिव (लो पोटेंशियल ) हो जाता है इलेक्ट्रॉन उस टर्मिनल से दूर पॉजिटिव टर्मिनल (हाई पोटेंशियल ) की तरफ जाते है . ये प्रोसेस निरंतरता से चालू रहती है . इस वजह से इलेक्ट्रॉन उनकी जगह पे आगे पीछे होते रहते है . इसी वजह से करंट भी अपनी दिशा बदलता रहता है .
यहाँ पे पोटेंशियल डिफरेंस (वोल्टेज) धीरे धीरे बढ़ता है फिर एक मैक्सिमम वैल्यू तक जाकर फिरसे कम होकर जीरो तक आता है . फिर पोटेंशियल डिफरेंस (वोल्टेज) निगेटिव होने लगता है और वोल्टेज एक मैक्सिमम निगेटिव वैल्यू तक जाता है . यहाँ से वोल्टेज फिर से रिवर्स होता है और जीरो हो जाता है . ये cycle फिर से आगे निरंतरता से चालू रहता है . वोल्टेज इस तरह टाइम के साथ ऊपर निचे होता है . वोल्टेज के साथ में करंट भी टाइम के साथ ऊपर निचे होता है . ये हम ऊपर दिए गये इमेज (ac current graph) से देख सकते है .
लंबे दुरी के लिए एसी करंट क्यों इस्तेमाल किया जाता है ?( why ac current is used for long distance transmission)
ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल करके एसी करंट के वोल्टेज को कम ज्यादा किया जा सकता है . लंबे दूरी के लिए एसी करंट का वोल्टेज बढाया जाता है. और करंट कम किया जाता है . करंट की वैल्यू कम हो जाने से हीट के जरिए एनर्जी का जो नुकसान होता है , वो कम हो जाता है . जब करंट घरों तक पोहचता है तब उसका वोल्टेज फिर से कम किया जाता है . एसी करंट का इस्तेमाल लंबे दुरी के लिए करने से पॉवर (एनर्जी ) का नुकसान कम होता है . इसीलिए लंबे दुरी के लिए एसी करंट का इस्तेमाल किया जाता है .
dc करंट के साथ ये संभव नहीं होता है . dc करंट का इस्तेमाल करने से एनर्जी का नुकसान ज्यादा होता है . इसीलिए लंबे दुरी के लिए dc करंट इस्तेमाल नहीं करते है .
FAQ
Q 1 – भारत में ac current की फ्रीक्वेंसी क्या है ?
A-भारत में एसी करंट की फ्रीक्वेंसी 50 Hz है .
Q 2 – भारत में घरेलु उपयोग के लिए voltage कितना होता है ?
A-भारत में घरेलु उपयोग के लिए वोल्टेज 230 V होता है .
Q 3 – भारत में three phase वोल्टेज क्या है ?
A -भारत में three phase वोल्टेज 415 V है .
Q 4 – Ac current full form क्या है ?
A – एसी करंट का फुल फॉर्म Alternating Current है .
Q 5 – DC current full form क्या है ?
A – डीसी करंट का फुल फॉर्म Direct Current है .
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Prashant Adhangle इस ब्लॉग (Curiosity73.in) के Founder और लेखक है . Prashant ने Physics विषय में अपनी Master degree कियी है . उन्हें physics विषय की रोचक जानकारी लोगों तक आसान भाषा में पोहचाना पसंद है . Prashant महाराष्ट्र के नाशिक शहर के छोटे से गाँव देवगांव के रहने वाले है .