जब हम सूक्ष्म कणों जैसे इलेक्ट्रॉन या प्रोटॉन की बात करते हैं, तो हमें यह जानना मुश्किल हो जाता है कि वे किसी भी समय कहाँ हैं और कितनी तेजी से चल रहे हैं . हाइजेनबर्ग के अनिश्चितता सिद्धांत के अनुसार, हम किसी कण की पोजीशन और वेग दोनों को एक साथ बिल्कुल सही तरीके से नहीं जान सकते है . जितनी सटीकता से हम एक चीज़ जानते हैं, उतनी ही अनिश्चितता दूसरी चीज़ में बढ़ जाती है .
यह सिद्धांत क्वांटम भौतिकी की नींव है और हमें यह समझने में मदद करता है कि अति सूक्ष्म दुनिया कितनी अलग और रहस्यमय है . इस लेख में हम इस सिद्धांत को आसान भाषा में समझने की कोशिश करेंगे और जानेंगे कि इसका हमारे जीवन और विज्ञान पर क्या असर पड़ता है .

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हायजनबर्ग अनिश्चितता सिद्धांत का स्टेटमेंट ( heisenberg uncertainty principle statement)
हमारी डेली लाइफ में जो चीजे होती है जैसे बस , एक विशिष्ट टाइम पर उसका स्पीड क्या है और वो कहा है ये हम जान सकते है . लेकिन जब बात बेहद छोटे कणों जैसे इलेक्ट्रॉन या एटम की होती है, तो उनके साथ ऐसा मापन ठीक तरह से संभव नहीं होता .
हायजनबर्ग अनिश्चितता सिद्धांत को हायजनबर्ग ने 1927 में बनाया था . इस प्रिंसिपल के अनुसार किसी पार्टिकल की मोमेंटम (वेलोसिटी) और पोजीशन एक ही साथ हम सटीकता से नहीं जान सकते है. यानी हमें एक तो पार्टिकल की मोमेंटम सटीकता से पता चल सकती है या उसकी पोजीशन . लेकिन दोनों एक साथ नहीं मिल सकते है .
अगर हमे पार्टिकल की पोजीशन सटीकता से पता चलती है , तो हमे उसकी मोमेंटम में काफी अनिश्चितता मिलती है .यानी आखिरकार उसकी मोमेंटम क्या है ये हमे पता नहीं चलता है . अगर हमे पार्टिकल की मोमेंटम सटीकता से पता चलती है , तो हमें उसकी पोजीशन में काफी अनिश्चितता मिलती है . यानी आखिरकार वो पार्टिकल कहा है हमे ये पता नहीं लगता है .
बहुत छोटे पार्टिकल जैसे इलेक्ट्रान वेव (wave) जैसे बर्ताव करते है . यही कारण है की हम पार्टिकल की मोमेंटम और पोजीशन एकसाथ सटीकता से नहीं जान सकते है . यानी वेव पार्टिकल डुआलिटी (wave particle duality ) की वजह से हायजनबर्ग अनिश्चितता सिद्धांत उत्पन्न होता है .
हायजनबर्ग अनिश्चितता सिद्धांत का फार्मूला (heisenberg uncertainty principle formula)
हायजनबर्ग अनिश्चितता सिद्धांत का mathematical formula कुछ ऐसा है
$$\Delta x \Delta p \ge \frac{h}{4\pi}$$
यहाँ h प्लांक नियतांक (Planck constant) को दर्शाता है, जिसकी मान लगभग 6.626 ×10-34 m²·kg/s होती है
Δx यहाँ पोजीशन में uncertainty (अनिश्चितता) है .
Δp यहाँ मोमेंटम में uncertainty (अनिश्चितता) है .
इस फॉर्मूले के अनुसार, पोजीशन की अनिश्चितता (Δx) और मोमेंटम की अनिश्चितता (Δp) का गुणनफल कभी भी h/4π से कम नहीं हो सकता .
हायजनबर्ग अनिश्चितता सिद्धांत का स्पष्टीकरण (explain heisenberg uncertainty principle)
क्वांटम मैकेनिक्स ( quantum mechanics) के अनुसार हर वस्तु वेव जैसे बर्ताव करती है . कोई वेव कैसा होगा, इसकी जानकारी हमें वेव फंक्शन के माध्यम से मिलती है . हर पार्टिकल के साथ जुड़ा एक वेव फंक्शन होता है . वेव फंक्शन के अंदर पार्टिकल की सब इनफार्मेशन (information ) होती है , जैसे पार्टिकल की लोकेशन (location) और उसका स्पीड .
क्वांटम मैकेनिक्स के अनुसार measurement करने से पहिले पार्टिकल एक से ज्यादा लोकेशन पर हो सकता है . उदाहरण के लिए A लोकेशन पर पार्टिकल मिलने के चांसेस (chances) 20 % हो सकता है , B लोकेशन पर पार्टिकल मिलने के चांसेस 50 % हो सकते है और C लोकेशन पर पार्टिकल मिलने के chances 30 % हो सकते है . लोकेशन के जैसे ही measurement से पहले पार्टिकल की मोमेंटम (momentum) की वैल्यू अनेक वैल्यू में से कुछ भी हो सकती है .

ऊपर दिख रहा ग्राफ एक पार्टिकल का वेव फंक्शन है . इस पार्टिकल की मोमेंटम हमें अगर निकालना हो तो निचे दिया गया फोर्मुला का इस्तेमाल कर सकते है .
$$p =\frac{h}{\lambda}$$
यहाँ p पार्टिकल का मोमेंटम है .
h प्लांक कांस्टेंट है .
और λ पार्टिकल की वेवलेंथ (wavelength) है .
पार्टिकल की वेवलेंथ (wavelength) जैसे ऊपर के ग्राफ में दिख रहा है . दो crest के बिच का अंतर वेवलेंथ होता है या दो trough के बिच का अंतर वेवलेंथ (wavelength) होता है .
इस पार्टिकल की अगर हमे मोमेंटम निकालना हो तो हम वेवलेंथ की वैल्यू ऊपर के फार्मूला में डालेंगे .इससे पार्टिकल की मोमेंटम हमे सटीकता से मिलेगी . लेकिन पार्टिकल मिलने की संभावना जहा crest या जहा trough है वहा ज्यादा होती है . ऐसे अनगिनत crest और trough इस वेव फंक्शन में ( हमे इमेज सिर्फ कुछ ही crest और trough दिख रहे है ) है . यानी x एक्सिस पर ऐसे अनगिनत स्थान है जहाँ पर पार्टिकल हो सकता है . इसका अर्थ है कि हमें कण का संवेग (momentum) तो सटीक रूप से ज्ञात हो गया, लेकिन इसके कारण उसकी स्थिति (position) अनिश्चित हो गई .
अभी हम पार्टिकल की पोजीशन सटीकता से निकालेंगे . जैसे हमने ऊपर देखा measurement करने से पहले पार्टिकल एक से ज्यादा ठिकानों पर हो सकता है . लेकिन जैसे हम measurement करेंगे पार्टिकल हमे किसी एक स्थान पर मिलेगा . जैसे ही मापन किया जाता है, कण का वेव फंक्शन नीचे दिखाए गए ग्राफ की तरह रूप ले लेता है. पार्टिकल जिस स्थान पे मिला उस स्थान पर वेव फंक्शन की वैल्यू ज्यादा होगी . बाकी सभी जगह पर वो जीरो हो जाएगा .

ये ग्राफ बहुत सारे वेवलेंथ के वेव्स ( waves) को ऐड (add ) करके मिला है . जिसे हम निचे दिए गए gif में देख सकते है .

ऊपर का ग्राफ बहुत सारे वेव्स को ऐड करके बना है . सब वेव्स की वेवलेंथ (wavelength) अलग अलग है . अगर इस वेवलेंथ को हम ऊपर के फार्मूला में डालेगे , तो हर एक वेवलेंथ के लिए हमे एक मोमेंटम मिलेगा . इसका मतलब ये हुआ , हम किसी पार्टिकल की पोजीशन सटीकता से ढूंढने जाते है तो उस पार्टिकल की मोमेंटम (momentum) अनिश्चित (uncertain) हो जाती है .
ऊपर दिए गए स्पष्टीकरण से यह साफ़ होता है कि पार्टिकल वेव नेचर की वजह से ही हाइजेनबर्ग अनिश्चितता सिद्धांत सामने आता है.
हायजनबर्ग अनिश्चितता सिद्धांत सभी पदार्थ के वेव के लिए काम करता है क्या ?(Does uncertainty principle apply to everything ?)
हायजनबर्ग अनिश्चितता सिद्धांत सभी matter के लिए काम करता है , लेकिन इसका प्रभाव छोटे mass वाले पार्टिकल जैसे इलेक्ट्रान , एटम इनके लिए ध्यान देने योग्य होता है . बड़ी चीजे जैसे कार , गेंद या इंसान इनके लिए uncertainty बहुत बहुत ही कम होती है .
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Prashant Adhangle इस ब्लॉग (Curiosity73.in) के Founder और लेखक है . Prashant ने Physics विषय में अपनी Master degree कियी है . उन्हें physics विषय की रोचक जानकारी लोगों तक आसान भाषा में पोहचाना पसंद है . Prashant महाराष्ट्र के नाशिक शहर के छोटे से गाँव देवगांव के रहने वाले है .