क्वांटम भौतिकी ऐसी दुनिया को दर्शाती है जहाँ एक कण एक ही समय में कई स्थानों पर मौजूद हो सकता है . लेकिन जब हम उस कण को मापते हैं, तो हमें वो कण केवल किसी एक ही स्थान पर मिलता है . मापने से पहले कण कई स्थानों पर मौजूद होता है लेकिन मापने के बाद वो हमे किसी एक ही जगह पर मिलता है , ऐसा क्यू होता होगा ? इसी सवाल का जवाब देने के लिए वैज्ञानिकों ने कई विचार प्रस्तुत किए हैं, जिनमें से एक बेहद रोचक सिद्धांत है – Many-Worlds Interpretation .
इस विचार के अनुसार, हर बार जब कोई क्वांटम घटना घटती है, तो हमारा ब्रह्मांड कई भागों में बंट जाता है – और हर भाग में एक अलग नतीजा सामने आता है .
इस लेख में हम इस सिद्धांत की बारीकियों को समझेंगे, जानेंगे कि यह विचार कैसे उत्पन्न हुआ, इसके पीछे की विज्ञान क्या कहता है, और क्यों यह आज भी वैज्ञानिकों और दार्शनिकों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है .

Table of Contents
मेनी वर्ल्ड इंटरप्रिटेशन किसने बनाया (who created the many worlds interpretation)
Many-Worlds Interpretation की अवधारणा सबसे पहले 1957 में ह्यू एवरिट (Hugh Everett III) द्वारा प्रस्तुत की गई थी .
क्वांटम मैकेनिक्स में सुपरपोजीशन क्या होती है (What is Superposition in Quantum mechanics)
क्वांटम मैकेनिक्स में किसी भी समय कोई पार्टिकल जैसे इलेक्ट्रान या प्रोटोन कहा है इसकी जानकारी हमें उस पार्टिकल का वेव फंक्शन देता है . वेव फंक्शन के अनुसार एक ही समय में पार्टिकल एक साथ कई स्थानों पर हो सकता है . इसे ही हम पार्टिकल सुपरपोजीशन (superposition) अवस्था में है ऐसा बोल सकते है . लेकिन जैसे ही हम वो पार्टिकल कहा है ये जानने के लिए measurement करते है . हमे पार्टिकल सिर्फ किसी एक ही स्थान पर मिलता है .इसे ही पार्टिकल का वेव फंक्शन कोलैप्स (wave function collapses ) हो गया ऐसा बोलते है .
लेकिन measurement करने से पाहिले पार्टिकल कई स्थानों पर उपस्थित था और measurement करने के बाद वो किसी एक स्थान पर मिला , ऐसा क्यू हुआ होगा ? . इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए कई सिद्धांत सामने रखे गए, जिनमें से एक ‘Many-Worlds Interpretation’ भी है .
क्वांटम मैकेनिक्स का मेनी वर्ल्ड इंटरप्रिटेशन क्या है ?(What is the many worlds interpretation of quantum mechanics)
मेनी वर्ल्ड इंटरप्रिटेशन के अनुसार किसी क्वांटम घटना का हर संभाव्य नतीजा घटित होता है , लेकिन अलग अलग समान्तर यूनिवर्स में .
many worlds interpretation के अनुसार वेव फंक्शन कोलैप्स (wave function collapse) नहीं होता है . एक उदहारण से हम इसे समझते है . ऐसा समझिये वेव फंक्शन के अनुसार measurement से पहले अगर पार्टिकल A लोकेशन , B लोकेशन और C लोकेशन पर हो सकता है . many worlds interpretation के अनुसार जब हम measurement करते है तब universe तिन हिस्सों में बंट जाती है . एक यूनिवर्स में पार्टिकल A लोकेशन पर मिलता है . दुसरे यूनिवर्स में पार्टिकल B लोकेशन में मिलता है . और तीसरे यूनिवर्स में पार्टिकल C लोकेशन पर मिलता है .
यहाँ हमारी भी तिन कॉपी बन जाती है . हर यूनिवर्स में हमारी एक कॉपी होती है . यानी measurement करने के बाद अगर पार्टिकल हमे B लोकेशन मिला . तो वहाँ और दो यूनिवर्स होगी , उसमे से एक यूनिवर्स में हमारी कॉपी को पार्टिकल A लोकेशन पर मिलता है . और दुसरे यूनिवर्स में हमारी दूसरी कॉपी को पार्टिकल C लोकेशन पर मिलता है . यहाँ हमारी कोई भी एक कॉपी को दुसरे कॉपी के बारे में कुछ जानकारी नहीं होती है . यानी हम दुसरे यूनिवर्स की हमारी कॉपी से अनभिज्ञ होते है .
यहाँ हम ये देख सकते है की measurement से पहले पार्टिकल तिन लोकेशन पर था और measurement के बाद भी पार्टिकल तिन लोकेशन पर मिलता है . यानी यहाँ वेव फंक्शन कोलैप्स (wave function collapse) नहीं होता है .
श्रोडिन्गर की बिल्ली और मेनी वर्ल्ड (schrodinger’s cat and many worlds)
मेनी वर्ल्ड इंटरप्रिटेशन को हम श्रोडिन्गर के cat एक्सपेरिमेंट से समझते है . इस एक्सपेरिमेंट में बिल्ली को रेडियोएक्टिव एटम , गायगर काउंटर , जहर की शीशी ,हथौड़ा के साथ एक बंद बॉक्स में रखा जाता है . अगर रेडियोएक्टिव एटम रेडिएशन बाहर छोड़ता है .गायगर काउंटर उस रेडिएशन को डिटेक्ट करता है . उसके बाद हथौड़ा जहर की शीशी को तोड़ देता है . जिससे बिल्ली मर जाती है . अगर एटम रेडिएशन बाहर नहीं छोड़ता तो बिल्ली ज़िंदा रहती है .
यहाँ रेडियोएक्टिव एटम एक तो रेडिएशन बाहर छोड़ेगा या नहीं छोड़ेगा . यानी रेडियोएक्टिव एटम इस दो ऑप्शन के सुपरपोजीशन अवस्था में है . इसी के साथ यहाँ बिल्ली भी जिन्दा रहना या मर जाना इस सुपरपोजीशन अवस्था में है . Copenhagen Interpretation के अनुसार जब हम बॉक्स को खोलेंगे तब हमें बिल्ली या तो ज़िंदा मिलेगी या तो मरी हुई . यहाँ ऐसा कभी नहीं होगा की बिल्ली आधी ज़िंदा है और आधी मरी हुई . यानि वेव फंक्शन यहाँ collapse होता है .
मेनी वर्ल्ड इंटरप्रिटेशन के अनुसार जब हम बॉक्स खोलते है तब यूनिवर्स दो हिस्सों में बंट जाती है . एक यूनिवर्स में बिल्ली ज़िंदा होती है . वही दुसरे यूनिवर्स में बिल्ली मरी हुई मिलती है . हमारी भी यहाँ दो कॉपी बन जाती है . हमारी एक कॉपी दुसरे कॉपी से अनभिज्ञ होती है . हमारी एक कॉपी को बिल्ली मरी हुई मिलती है .वही दुसरे कॉपी को बिल्ली जिन्दा मिलती है
मेनी वर्ल्ड इंटरप्रिटेशन के फायदे (Advantages of the Many-Worlds Interpretation)
1) इस इंटरप्रिटेशन के अनुसार वेव फंक्शन स्मूथली विकसित होता है . यहाँ ऑब्जरवेशन करने पर वेव फंक्शन collapse नही होता है .
2) ये इंटरप्रिटेशन Deterministic है . यानी इसमें कोई संभावना (probability) नहीं होती है .सभी संभावित परिणाम अपने-अपने ब्रह्मांडों में घटते हैं . इससे संपूर्ण घटनाक्रम पूर्व-निर्धारित माना जा सकता है .
3) क्वांटम नियम इस इंटरप्रिटेशन में पूरे ब्रह्मांड पर समान रूप से लागू होते हैं — चाहे वह इलेक्ट्रॉन हो या इंसान . यहाँ किसी भी अलग नियम या पर्यवेक्षक (observer) के लिए विशेष नियमों की आवश्यकता नहीं होती .
मेनी वर्ल्ड इंटरप्रिटेशन की कमियाँ (Disadvantages of the Many-Worlds Interpretation)
1) इस इंटरप्रिटेशन का कोई सबूत उपलब्ध नहीं है , जो ये दिखाता हो की यहाँ काफी सारे समान्तर यूनिवर्स है .
2) यह मान्यता कि हर संभावित घटना एक नया ब्रह्मांड बना देती है. और यहाँ ऐसे अनगिनत ब्रम्हांड हो सकते है . कई वैज्ञानिकों को ये अस्वीकार्य और कल्पनातीत लगती है . यह इंटरप्रिटेशन “Occam’s Razor” के सिद्धांत के विरुद्ध माना जाता है , जो ये कहता है की सरल स्पष्टीकरण सबसे बेहतर होता है .
3) बोर्न रूल (Born rule) के अनुसार हर संभावित घटना की कुछ संभावना (probability) होती है . अगर सभी नतीजे घटते है तो किसी घटना की संभावना (probability) का क्या अर्थ होता है ?
4) इस इंटरप्रिटेशन के अनुसार हम दुसरे यूनिवर्स से संपर्क नहीं कर सकते है . इसका मतलब हम दुसरे यूनिवर्स को कभी देख ही नहीं पायेंगे .

Prashant Adhangle इस ब्लॉग (Curiosity73.in) के Founder और लेखक है . Prashant ने Physics विषय में अपनी Master degree कियी है . उन्हें physics विषय की रोचक जानकारी लोगों तक आसान भाषा में पोहचाना पसंद है . Prashant महाराष्ट्र के नाशिक शहर के छोटे से गाँव देवगांव के रहने वाले है .