What is Sound and How is it Produced – जानिए ध्वनि क्या होती है और कैसे बनती है ?

What is sound and how is it produced
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What is sound and how is it produced — ध्वनि एक प्रकार की ऊर्जा है जो कंपन (vibration) के कारण उत्पन्न होती है. जब कोई वस्तु कांपती है, तो वह आसपास के कणों में तरंगें उत्पन्न करती है, और ये तरंगें माध्यम जैसे हवा, पानी या ठोस पदार्थ के माध्यम से हमारे कानों तक पहुँचती हैं .

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि ध्वनि क्या होती है, यह कैसे पैदा होती है और हमारे जीवन में इसकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है . आसान उदाहरणों और गतिविधियों के ज़रिए यह विषय विद्यार्थियों और जिज्ञासु पाठकों दोनों के लिए उपयोगी रहेगा .

ध्वनि क्या होता है और कैसे उत्पन्न होता है (What is sound and how is it produced )

ध्वनि क्या होता है ?(What is sound)

ध्वनि एक प्रकार की ऊर्जा है . ध्वनि की ऊर्जा एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है, जैसे कि वायु, जल या कोई ठोस पदार्थ.

ध्वनि कैसे उत्पन्न होता है ?(how sound is produced)

जब भी कोई चीज vibrate होती है तब ध्वनि उत्पन्न होता है . जब चीजे vibrate होती तो वो तेजी से आगे पीछे हिलती है . जिससे ध्वनि उत्पन्न होता है . जब चीजे vibrate होने लगती है तो उसके आसपास का माध्यम जैसे हवा , पानी या कोई भी ठोस चीजे भी vibrate होने लगती है . जिससे ध्वनि एक जगह से दुसरे जगह जाता है . अक्सर ये वाइब्रेशन हमे आँखों से दीखते नहीं है . लेकिन सूक्ष्म लेवल पर अगर देखा जाए तो वहा पे वाइब्रेशन होते है . हम vibrate हो रही चीजों को स्पर्श करके इन वाइब्रेशन को महसूस कर सकते है .

आपने कभी गिटार की तारों को कंपन करते हुए जरूर देखा या महसूस किया होगा. तार जैसे vibrate होती है वैसे ही ध्वनि उत्पन्न होता है . लेकिन जैसे ही तार को हम स्पर्श करते है वाइब्रेशन रुक जाते है . अगर कोई धातु का बर्तन निचे गिरता है तो वो भी आवाज करता है .यहाँ बर्तन भी vibrate हो रहा होता है .

ध्वनि के गुणधर्म (properties of sound waves)

Properties of sound wave
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wavelength(λ)

साउंड वेव में हाई प्रेशर और लो प्रेशर का एरिया होता है . हाई प्रेशर एरिया इमेज में चोटी (peak) दिखा रही है . वही लो प्रेशर एरिया इमेज में गर्त (trough) दिखा रही है . एक चोटी से दुसरे चोटी तक के अंतर को वेवलेंथ (wavelength) बोलते है . एक गर्त से दुसरे गर्त तक के अंतर को भी वेवलेंथ बोलते है .

वेवलेंथ का SI unit मीटर होता है . वेवलेंथ को λ से दर्शाते है .

Amplitude

इमेज में दिख रही चोटी (peak) की उचाई को amplitude बोलते है . amplitude जितना ज्यादा होगा sound wave की एनर्जी भी उतनी ही ज्यादा रहेगी . sound wave की एनर्जी ज्यादा तो वो sound उतना ही ज्यदा लाउड होगा . वैसे ही amplitude जितना कम sound वेव की एनर्जी उतनी ही कम . मतलब, आवाज़ उतनी ही धीमी सुनाई देगी.

Frequency(v)

वेव की एक चोटी (peak) से दुसरे चोटी (peak) तक अगर वेव का एक cycle माने , तो एक सेकंड में वेव के ऐसे जितने cycle पुरे होगे उसे हम उस वेव की Frequency बोलते है . अगर एक सेकंड में 10 cycle पुरे हो रहे है तो उस वेव की frequency 10 hertz होती है .

frequency का SI unit Hertz (Hz) होता है . फ्रीक्वेंसी को दर्शाने के लिए ‘न्यू’ (ν) प्रतीक का उपयोग किया जाता है.

ध्वनि की फ्रीक्वेंसी को पिच के नाम से भी जाना जाता है — जितनी अधिक फ्रीक्वेंसी, उतनी ही तेज़ पिच सुनाई देती है.

Time period(T)

एक cycle पूरा करने के लिए वेव को जितना टाइम लगता है उसे sound वेव का Time period(T) बोलते है . Time Period को T के रूप में दर्शाया जाता है, और इसकी SI इकाई सेकंड (s) होती है.

Velocity(V)

sound वेव एक सेकंड में जितना अंतर पार करता है वो उसकी वेलोसिटी (velocity) होती है . velocity का SI यूनिट m/s है .

$$ velocity=\frac{λ}{T}$$

velocity = wavelength × frequency

Timbre

बांसूरी पे हम अगर कोई सुर बजाए और पियानो पे अगर हम वही सुर बजाए , तो दोनों सुर का sound हमे अलग सुनाई देता है . भले ही दोनों सुरों की frequency (pitch) और amplitude (loudness) एक ही हो . हमे दोनों सुरों का आवाज अलग अलग सुनाई देता है . इसे हम ऐसा बोलते है की दोनों सुरों का timbre अलग है .

timbre को टोन कलर या क्वालिटी भी बोलते है .

ध्वनि का प्रसारण (propagation of sound waves)

ध्वनि जब एक जगह से दुसरे जगह तक जाता है , उसे ध्वनि का प्रसारण (propagation ) कहते है . जब कोई भी वस्तु vibrate होती है तब वो आगे पीछे तेजी से हिलती है . वस्तु के इस वाइब्रेशन की वजह से उसके आस पास वाला माध्यम जैसे हवा , लिक्विड या ठोस चीज भी vibrate होने लगता है . इस तरह वाइब्रेशन एक जगह से दुसरे जगह तक जाते है .

इसे हम हवा के उदहारण से समझते है . जब वस्तु vibrate होती है तब उसके आगे के हवा के पार्टिकल उनके आगे के पार्टिकल को धक्का देते है . पार्टिकल दुसरे पार्टिकल को धक्का देककर वापस अपनी जगह पर आते है . पार्टिकल जब धक्का देने के लिए जाते है तब वो दुसरे पार्टिकल के काफी करीब आते है . इसीलिए उस जगह पर प्रेशर बढ़ जाता है . इसे ही कम्प्रेशन (compression ) बोलते है . जब पार्टिकल धक्का देककर वापस आते है तब पार्टिकल एक दुसरे से काफी दूर जाते है . इसी वजह से वहा का प्रेशर कम हो जाता है . इसे ही रेयर फैक्शन (rarefaction) बोलते है .

इसी तरह ध्वनि एक जगह से दुसरे जगह तक जाता है .

ध्वनि का स्पीड solid में ज्यादा क्यू होता है (why sound travels faster in solids)

solid पदार्थ में पार्टिकल काफी नजदीक होते है . जिससे पार्टिकल दुसरे पार्टिकल को तेजी से धक्का देककर वापस अपने जगह पर आ सकते है . इसी वजह से solid में ध्वनि का स्पीड ज्यादा होता है . solid पदार्थ में ध्वनि का स्पीड लिक्विड पदार्थ से ज्यादा होता है . लिक्विड पदार्थ में ध्वनि का स्पीड गैस से ज्यादा होता है .

वैक्यूम में ध्वनि यात्रा क्यू नहीं कर सकता ? (why sound not travel in vacuum)

ध्वनि को एक जगह से दुसरे जगह जाने के लिए किसी माध्यम की जरुरत होती है , जैसे हवा , लिक्विड या solid. इसी वजह से ध्वनि को मैकेनिकल वेव (mechanical wave) भी बोलते है . वैक्यूम खाली जगह होती है , जहा कुछ भी पार्टिकल नहीं होते है . इसी वजह से ध्वनि वैक्यूम में यात्रा नहीं कर सकते है .

अलग अलग माध्यम में ध्वनि का स्पीड (speed of sound in different mediums)

Medium Type Speed of Sound (m/s)
Air (at 20°C) Gas 343
Hydrogen (0°C) Gas 1,280
Water (at 25°C) Liquid 1,480
Ethanol Liquid 1,200
Iron Solid 5,120
Steel Solid 5,960
Glass Solid 4,540
Rubber Solid 60

हम ध्वनि को कैसे सुनते है ?(how do we hear sound short answer)

जब किसी चीज के वाइब्रेशन हवा के जरिए हमारे कान के पर्दे तक पहुचते है . तब हमारा कान का परदा vibrate होने लगता है . ये कंपन अब मध्य कान की हड्डियों (middle ear bones या ossicles) के माध्यम से कान के अंदरूनी हिस्से तक पहुँचते हैं . कान के इस हिस्से को cochlea भी कहते है . Cochlea के अंदर अनेक छोटे-छोटे बाल जैसी संरचनाएं होती हैं, जिन्हें हेयर सेल्स कहा जाता है . ये हेयर सेल इन वाइब्रेशन को इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदल देते है . इसके बाद auditory nerve के जरिए ये सिग्नल ब्रेन तक पोहचाए जाते है . ब्रेन के पास जब ये सिग्नल पोहचते है तब ब्रेन इन सिग्नल का अर्थ निकालता है . और तभी हमे ध्वनि सुनाई देता है .

इंसान कौनसा ध्वनि सुन सकते है (which sound human can hear )

इंसान सभी ध्वनि सुन नहीं सकते है . इंसान का कान 20 Hz से लेकर 20,000 Hz तक की फ्रीक्वेंसी वाली ध्वनि तरंगों को पहचान सकता है. लेकिन इस रेंज के बाहर वाले ध्वनि इन्सान सुन नहीं सकता है . इस रेंज को audible range  भी बोलते है .

यदि किसी ध्वनि की फ्रीक्वेंसी 20 Hz से कम हो, तो उसे इन्फ्रासाउंड के नाम से जाना जाता है . वही 20000 Hz से ज्यादा फ्रीक्वेंसी वाले sound को ultrasound  बोलते है . इन sound को इंसान सुन नहीं सकते है .

रोजमर्रा के जीवन में ध्वनि के उपयोग (uses of sound in daily life)

1) हम ध्वनि का सबसे अधिक उपयोग बातचीत करने के लिए करते हैं . बोलकर विचारों और भावनाओं को व्यक्त करना ध्वनि पर ही आधारित है .

2) गाने, वाद्य यंत्र, टीवी, रेडियो और थिएटर — ये सभी ध्वनि के माध्यम से मनोरंजन प्रदान करते हैं .

3) घर, वाहन और संस्थानों में सुरक्षा अलार्म ध्वनि उत्पन्न करके खतरे की सूचना देते हैं .

4) डॉक्टर स्टेथोस्कोप का उपयोग हृदय की धड़कन और फेफड़ों की आवाज़ सुनने के लिए करते हैं . अल्ट्रासाउंड तकनीक भी ध्वनि तरंगों पर आधारित होती है .

5) चमगादड़ और डॉल्फिन जैसे जीव गूंज (echo) का प्रयोग करके दूरी और दिशा का पता लगाते हैं . मनुष्य भी सोनार तकनीक में इसी सिद्धांत का उपयोग करता है .

6) मशीनों की ध्वनि सुनकर तकनीशियन उनकी स्थिति का अनुमान लगाते हैं और खराबी की पहचान करते हैं .

7)आजकल स्मार्टफोन, स्मार्ट टीवी और Alexa जैसे डिवाइस वॉइस कमांड द्वारा संचालित होते हैं, जो ध्वनि को पहचानते हैं .

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